सीतामढ़ी : भारत नेपाल सीमा पर परिहार प्रखंड क्षेत्र में नेपाल से निकलने वाली मरहा एवं हरदी नदी प्रत्येक वर्ष अपना ताडंव दिखाती है। पिछले साल जून में हरदी नदी ने अपनी पुरानी धारा को छोड़ नई धारा बना ली थी। जिसके बाद से बारा, बंसवरिया, लहुरिया, खुरसाहा, महुआबा आदि गांव के लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया। स्थानीय मो.अमहद,मो.रूफैल,मो.कमारूल आदि ने बताया की मानसून नजदीक है लेकिन अभी तक नदी की धारा नहीं बदला गया है।

बाढ़ के समय में इस नदी की धारा को किसी भी तरफ मोड़ना असंभव है। इसके लिए बाढ़ बरसात से पूर्व ही प्रयास किया जाना चाहिए। लेकिन अभी तक किसी स्तर से इस तरह का कोई प्रयास होता नजर नहीं आ रहा है। जिसके कारण गांव के लोगों को बाढ़ की चिता सताने लगी है।

लहुरिया में धारा नहीं मोड़ने के संबंध में पूछे जाने पर सीओ ने बताया कि इसकी जानकारी बागमती प्रमंडल देगी। पिछली बाढ़ में केवल लहुरिया गांव के सैकड़ों परिवारों को विद्यालय में शरण लेनी पड़ी थी। अगर इस बार भी व्यवस्था नहीं की गई तो यही नौबत होगी। नदी की धारा बदलने के कारण बारा, बंसबरिया, खुरसाहा आदि गांव के लोगों की कई एकड़ जमीन नदी की धारा में विलीन हो गई।

हजारों एकड़ जमीन में नदी ने रेत डाल दिया। जिसके चलते यह जमीन बंजर पड़ी हुई है। जहां कल तक हरियाली थी, आज वहां रेत ही रेत नजर आ रहा है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जो जमीन नदी में विलीन हो गया या फिर रेत के कारण बताते हैं कि हरदी नदी अपनी धारा बदलने के लिए पहचाना जाता है। लोग इसे तालाब का दुश्मन भी बताते हैं। जानकारों की माने तो दो दशक में इस नदी ने तीन बार धारा बदली है।
कुछ दशक पूर्व हरदी नदी प्रखंड के नोनाही गांव से गुजरती थी। इसके बाद धारा बदलकर महादेव पट्टी से दक्षिण आ गई। यहां भी नदी ज्यादा समय नहीं रुकी और धारा बदलकर जगदर के पास आ गई। जहां सरकार की तरफ से तीसरी बार पुल बनवाया गया था। पिछले वर्ष नदी ने उस पुल को छोड़कर लहुरिया गांव के समीप अपनी धारा बना लिया।
लहुरिया में भी हो रहे पुल निर्माण से लोगों को फायदा नहीं होगा। लोगों का कहना है कि धारा मोड़ने से ही बाढ़ की समस्या का समाधान होगा। दो दिन पूर्व भी भी उक्त गांव में बाढ़ का पानी आया था। इस संदर्भ में सीओ प्रभात कुमार ने बताया कि बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर बाढ़ आश्रय स्थल का चिन्हित कर लिया गया है।
